बचपन
ये जो हंसता हुआ पल है
ये बचपन की बात है
यहां सच्चाई है और जुड़े हुए जज़्बात है
पिता अपने बच्चें के साथ बच्चा बन जाता है
रोज नई राह दिखाते और चलना सिखाता है
अपने सपनों का स्वरूप देखते हैं अपने बच्चों में
और जीवन के सरल कठिन सबक सिखाता है
कितना प्यारा है ये बचपन
यहां कोई दिखावे का शोर नहीं है
बच्चे होते हैं मन के सच्चे
इनके अंदर कोई चोर नहीं है
खेलते हैं कूदते है, ये दुनिया को रंगीन बनाते हैं
ये जो होते हैं बचपन के मज़े
हर उम्र में खुशी ही ले आते हैं
पिता अपने कंधे पर बिठाकर
दुनिया के तौर तरीके समझाता है
वो तो अपने बच्चे को अपने से आगे बढ़ना सिखाता है
शुरूआत होती है बचपन से ही
रोज़ सफलता की कहानी सुनाते हैं
देखकर अपने बच्चे की खिलखिलाहट सारी थकान भूल जाते है
ये बचपन के मज़े सबको गुदगुदाते है।
रेखा खिंची ✍️✍️