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17 Feb 2024 · 1 min read

बचपन

ये जो हंसता हुआ पल है
ये बचपन की बात है
यहां सच्चाई है और जुड़े हुए जज़्बात है

पिता अपने बच्चें के साथ बच्चा बन जाता है
रोज नई राह दिखाते और चलना सिखाता है
अपने सपनों का स्वरूप देखते हैं अपने बच्चों में
और जीवन के सरल कठिन सबक सिखाता है

कितना प्यारा है ये बचपन
यहां कोई दिखावे का शोर नहीं है
बच्चे होते हैं मन के सच्चे
इनके अंदर कोई चोर नहीं है

खेलते हैं कूदते है, ये दुनिया को रंगीन बनाते हैं
ये जो होते हैं बचपन के मज़े
हर उम्र में खुशी ही ले आते हैं

पिता अपने कंधे पर बिठाकर
दुनिया के तौर तरीके समझाता है
वो तो अपने बच्चे को अपने से आगे बढ़ना सिखाता है

शुरूआत होती है बचपन से ही
रोज़ सफलता की कहानी सुनाते हैं
देखकर अपने बच्चे की खिलखिलाहट सारी थकान भूल जाते है
ये बचपन के मज़े सबको गुदगुदाते है।

रेखा खिंची ✍️✍️

Language: Hindi
113 Views
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