बचपन जब भी याद आता है
यदि होता किन्नर नरेश में
उठो लाल अब आँखें खोलो
बचपन जब भी याद आता है
ये कविताएं याद आती हैं…
ती ती ती ती घघ्घो रानी
चिड़िया उड़ की वही कहानी
मानस पर जब घुमड़ाता है
चंचलताएं याद आती हैं..
गुड़िया की शादी के बाराती
चूल्हा चौका अपनी थाती
दिए लग्न में प्रियजन ने जो
आशंसाएं याद आती हैं…
कोई किसी से श्रेष्ठ नहीं था
बच्चों में मतभेद नहीं था
बचपन सबको अपनाता है
वह समताएं याद आती है ं…