बंद डायरी के पन्ने
**** बंद डायरी के पन्ने ****
***********************
झूठा था तू झूठ बोल गया,
झूठे सारे बोल बोल गया।
खिलौना जानकर खूब खेला,
खेल खेल कर मुंह मोड़ गया।
हर सुंदर सूरत पर मरने वाले,
कंचन काया कोरी भोग गया।
नाजुक सा दिल तन मन मेरा,
दिल का खिलौना तोड़ गया।
जिस्म की खुश्बू सूंघी सारी,
ठिकरा मुझपर ही फोड़ गया।
लूटी सारी यौवन की दौलत,
तू गैरों से रिश्ता जोड़ गया।
मनसीरत बंद डायरी के पन्ने,
जिन्दगी के पन्ने खोल गया।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)