” फेसबुक क ग्रुप “
( एकटा विचित्र अनुभव )
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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हमरो मन मे ग्लानि भ गेल
समाज मे रहित छी
कहिया धरि ढहलेल बकलेल
सन एकाकी जीवन बितायब ?
मालो -जाल समूह मे रहित अछि
समूह क सम्मान करि
एहिना अप्पन समाजक
झंडा फहराबय ! !
कतेक दिन ‘ एकला चलो ..
एकला चलो ‘
कहि-कहि झाल -मिर्दंग
बजबैत रहब ?
जखन बाड़ी-झाडी
बाध-बन ,इम्हर -उम्हर
समूह अछि
सब सं हम जुडैत रहब !!
हम अप्पन मुड़ी
बहुतो ग्रुप मे सनिहा देलहुं !
नीक लागल भव्य लागल
तें हम ह्रदय सं समर्पित भेलहूँ !!
आब भेलहूँ हम आश्वत
पारदर्शिताक नियम
प्रजातान्त्रिक परिवेश मे
हमर गप्प सुनल जायत !
सामंजस्यपूर्ण निर्भरता
विचारक मान्यता क
पताका फहरायत !!
मुदा इ ग्रुप समूह
हमरा नहि रास आबि सकल !
ग्रुप क नाम करण
सामाजिकता सं कहियो
नहिजुडि सकल !!
एडमिन आ मोद्रेटर
अप्पन दियाद -बाद क
सेवा मे जखन लागल छथि !
कहबा ला ग्रुप छथि
अप्पन क्षुधा शांति मे लागल छथि !!
ककरा पर विश्वास करि ?
ककरा संग किछु दूर चलि ?
सब सं नीक गुरु जी कहब
” कियो तोरे डाक सुने आई ना ..
एकला चलो रे ..एकला चलो रे ”
सब सं ठीक कहब !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
दुमका