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7 Sep 2017 · 1 min read

फूल काँटों में खिला करते हैं

212 2 1122 22
ग़ज़ल
*******
सत्य पथ पर जो चला करते है
वो ही मशहूर हुआ करते हैं
तू दुखों से न कभी डर प्राणी
फूल काँटों में खिला करते हैं

प्यार में ऐसा सदा होता है
होश और चैन उड़ा करते हैं

जिन चरागों को जलाता हो खुदा
आँधियों में न बुझा करते है

खोदता गड्ढे जो गैरों के लिए
उसमें खुद वो भी गिरा करते हैं

पहले तो जख़्म दिया इस दिल को
फिर वही आके दवा करते हैं

जान रखते हैं हथेली पर जो
सबका वो ही तो भला करते हैं

ज़ुल्म या प्यार करें वो “प्रीतम”
हम नहीं उनसे गिला करते हैं

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
03/09/2017
????????

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