फुरसत
“जिम्मेदारी न आज घटी न कल घटेगी
फुर्सत न आज मिली न ही कल मिलेगी।”
किसी के लब पर मीठे बोल होते हैं,
तो किसी की नीयत में झोल होते हैं।
एक बात कहने से रिश्ते ढह जाते हैं,
बात सहने से रिश्ते ताउम्र रह जाते हैं।
ज्यादा अकड़ में खास रिश्ते दूर हो जाते हैं,
रिश्ते निभाने से अपनी कदर खो जाती है।
जीवित को गिराने में लोग कमर कसते हैं,
मरने के बाद ऊँचा उठाने की हदें पार करते हैं।
सोचा था कि इसी चाह में पूरी जिन्दगी चलूंगा,
शायद अगले ही मोड़ पर सुकून मिल जाएगा।
रिश्तों की जिम्मेदारी से पीठ भी टूट जाएगी,
फुर्सत न आज मिली न ही कल मिलेगी।।
©अभिषेक पाण्डेय अभि