फिर वही खुशियाँ मिलेंगी देखना।
गज़ल
2122……….2122……..212
गम की आँधी बंद होगी देखना।
फिर वही खुशियाँ मिलेंगी देखना।
जन्म लेता है वो मरता भी तो है,
गम की परछाई न होगी देखना।
देश को ही खाने को तैयार हैं,
रोटी मुश्किल से मिलेंगी देखना।
चाँद पर बसने के सपने देखते,
ये जमीं कैसी है लगती देखना।
देश तो आगे बढ़ेगा एक दिन,
मुफ़लिसी जड़़ से मिटेगी देखना।
देश क्या दुनियाँ में यारो एक दिन,
धाक अपनी भी जमेगी देखना।
हो गरीबी या अमीरी मिल सके,
हे प्रभू बस ….दाल रोटी देखना।
प्यार सिद्दत से उसे करते रहो,
प्रीत प्रेमी से मिलेगी देखना।
……✍️ प्रेमी