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22 Jan 2017 · 1 min read

फ़ासले

लहरों की तरह आगे हम बढ़ते रहे,
दायरे हमारे और भी सिमटते रहे,
कभी तुम आगे निकल गए कभी हम,
फासले यूं ही हमारे बढ़ते रहे
आज जब शिद्दत से मेरे हमसफ़र !
तुम्हारी मुहब्बत का अहसास हुआ ,
तो हम बेबस से खड़े रह गए
और रिश्ते रेत की तरह हाथ से फिसलते गए।

Language: Hindi
1 Comment · 595 Views
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