प्रेरक प्रसंग
वर्ष 2011 की बात है मेरा ट्रांसफ़र सिवनी से फाजिलका हुआ l इसी बीच मेरी मुलाकात श्री रामेश्वर रैना जी से हुई जो कि एक स्थानीय निवासी थे l उनके भतीजे के बच्चे मेरे ही स्कूल में पढ़ने आते थे l परिवार और घर का सामान दिसम्बर में आना था l मुझे इस नयी जगह के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी l अगले दिन घर का सामान आना था मैंने रैना जी को कुछ मजदूर लाने को कहा l अगले दिन वे अपने साथ कुछ लड़कों को लेकर आए और सारा सामान ट्रक से उतारकर पहली मंजिल पर रखवा दिया l जब मैंने उनसे पैसे के बारे में पूछा तो उन्होनें कहा कि ये मेरे भतीजे हैं l पैसे की कोई बात नहीं है l उनके इस व्यवहार ने मुझे बहुत प्रभावित किया l
इसके बाद मैं उनसे करीब सात वर्ष तक एक परिवार की तरह जुड़ा रहा और वहां से ट्रांसफ़र के बाद भी मेरे उनके साथ पारिवारिक संबंध बने हुए हैं l वे एक अच्छे डॉक्टर भी हैं जब भी घर में कोई बीमार होता तो डॉक्टर साहब खुद आकर दवाई दे जाते | उन्होंने मेरे परिवार की बहुत मदद की l मैं हमेशा ही उनसे प्रभावित हुआ l वे जब भी मिलते , उनके चहरे पर एक चिर – परिचित मुस्कान होती | ऐसे उत्तम संस्कारों से पोषित चरित्र जब आपके जीवन का हिस्सा बन जाते हैं तो आपका जीवन बहुत सुखमय हो जाता है l
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम