“प्रेम-पत्र”
“प्रेम-पत्र”
सारी दुनिया की क्रूर दृष्टि
बस उसी में थी
हवा उड़ाकर ले जाना चाहती
समन्दर की गहराई डुबाना चाहती
बारिश गलाना चाहती
आग जलाना चाहती
आखिरकार मैं नितान्त अकेला
कब तक बचाता तुम्हारा प्रेम-पत्र।
“प्रेम-पत्र”
सारी दुनिया की क्रूर दृष्टि
बस उसी में थी
हवा उड़ाकर ले जाना चाहती
समन्दर की गहराई डुबाना चाहती
बारिश गलाना चाहती
आग जलाना चाहती
आखिरकार मैं नितान्त अकेला
कब तक बचाता तुम्हारा प्रेम-पत्र।