प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
पग में बोले छम -छम पायल, मुक्त कंठ मृदु- गीत
ओढ़ प्रणय की झिलमिल चूनर , प्रियतम के संग प्रीत,
प्रेमकुंज की चुन नव-कलियाँ निज – कर पंथ सजाऊँ।
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
कंचन-किंकिणी शोभे कटि पर, गले सुसज्जित माला
कनक -मुद्रिका, कुंडल, टीका, बेकल नथनी , बाला,
पुलकित मन मैं खड़ी प्रणयिनी नाचूँ या इतराऊँ।
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ ।
गजरा शोभे जूही, चंपा, विहँसे मधुमय बेला
गौर, सुघर , मोहक कपोल पर कुंतल – नर्तन- खेला,
मधुर – मिलन के गीत मीत मैं मृदुल कंठ से गाऊँ।
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ ।
अनिल मिश्र प्रहरी ।