प्रिये
प्रीत की इक सफलतम कहानी हो तुम
अप्सरा सी कोई ज़िन्दगानी हो तुम।।
प्रीत की इक सफलतम कहानी हो तुम,
अप्सरा सी कोई ज़िन्दगानी हो तुम,
तुमसे मिलके प्रिये, प्रेम मैंने जिया,
मन मेरे साम्राज्य की रानी हो तुम।
प्रीत की एक सफलतम कहानी हो तुम…
रास्ते की तपिश में छाया हो तुम,
इतनी सुंदर हो, क्या देवमाया हो तुम,
तुम सुगंधित हो जैसे कि गुलजाफ़री,
इक सुरीली से वीणा की वाणी हो तुम।
तुमसे मिलके प्रिये, प्रेम मैंने जिया,
मन मेरे साम्राज्य की रानी हो तुम।।
प्रीत की इक सफलतम कहानी हो तुम…
प्रेम पढ़ते हुए उन लवों की छुअन,
इक अलंकृत छठा में तराशा बदन,
इतनी शिद्दत से रब ने है तुमको रचा,
मेरी आँखों के शीशे के पानी हो तुम।
तुमसे मिलके प्रिये, प्रेम मैंने जिया,
मन मेरे साम्राज्य की रानी हो तुम।।
प्रीत की इक सफलतम कहानी हो तुम,
मन मेरे साम्राज्य की रानी हो तुम…