प्राप्त हो जिस रूप में
प्राप्त हो जिस रूप में जीवन
सहर्ष उसे स्वीकार करो ।
प्रेम की भाषा से हृदयों पर
सबके तुम अधिकार करो ।।
फल की चिंता छोड़ कर
मानवता पर उपकार करो ।
जीवन है संघर्ष की भांति
स्वयं को बस तैयार करो ।।
सेवा भाव, कर्तव्य निष्ठा
स्वयं में आत्मसात करो ।
क्या हो तुम? क्यों हो तुम?
स्वयं का आत्म साक्षात्कार करो ।।
संयम हो जीवन, नियम हो जीवन
मौन का भी सत्कार करो ।
स्मरण रहे मृत्यु भी तुमको
जीवन का भी उद्धार करो ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद