प्रथम मिलन
1-शीर्षक —प्रथम मिलन
सखी बदरा घिर घिर आये
प्रथम मिलन की बेला लाये ना।।
रिम झिम वारिस भीगा बदन, जिया
घबराए,जाने घर हम कैसे जाए ,भागत आये सपनो के राज कुमार सखी बदरा घिर घिर आये जगा गए प्यार एहसास।।
बाबुल का घर भाये ,जीवन मे कहीं ना जाये, माँ की ममता बापू का प्यार,
भईया की अठखेली, स्वर्ग से
सुंदर अपना घर परिवार ,सखी बदरा
घिर घिर आये जगाये बैरी प्यार खुमार।।
सखी सावन की बदरा बरसात,
उनसे हुई क्या मुलाकात नव जीवन की आश जगाए ,भूख प्यास ना लागे
विरह जिया तड़पाये सखी बदरा घिर
घिर आये जगा गए प्रेम प्यासअगन कि आग।।
जाने क्या क्या ,आये खयाल, ना भावे बाबुल घर अंगना ,कैसे हो मुलाकात, सखी बदरा घिर घिरआये पिया की याद सतावे नीद नही आये दे गए कैसी व्याथि।।
बरस बीत गए दो चार बढ़ती रही
मुलाकात एक दिन छूटा बाबुल का साथ पिया घर आये सखी बदरा बदरा
घिर घिर आये प्यार बारिश का घर बार।।
सखी बदरा घिर घिर आये पिया
प्यार की सौगात मन हर्षाये
सेज सुहाग प्यार बदरा बरसात
पिया प्यार जीवन उपहार सखी
बदरा घिर घिर आये जीवन सुनाए
राग। ।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश