प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
मेरी आंखों में
स्पष्ट देख
पाओगे
यदि तुमने
कभी डूबते
हुए सूरज
को गौर से
देखा होगा
और सुबह
उसके उगने
की प्रतीक्षा
की होगी
मेरे शब्दों
में आई
नमी को
तुरंत भाप
जाओगे
यदि तुमने
कभी
कोयल की
कूक में
व्याकुलता
पर ध्यान
दिया होगा
भीतर कितना
सन्नाटा है
जान पाओगे
जब बिना
तैरना जाने
नदी में कूद
पड़ोगे…..
शायद मुझे
बचा पाओ
या मुझ में
ही समा जाओ।