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2 May 2024 · 1 min read

मैं सरिता अभिलाषी

#दिनांक:-2/5/2024
#शीर्षक:-मैं सरिता अभिलाषी।

कल कल बहती सरिता अभिलाषी,
अमृत बन जाए नीर तृप्त हो प्यासी।

हर उपहार से अनमोल मेरी राशि,
कभी ना कहूँ किसी को निकासी।

मधुर-मधुर गीत गाती रहूँ आजीवन,
रोग मुक्त मिठास हो सबका जीवन।

कंकड़-पत्थर भी मुझमें आसरा पायें,
चट्टान बर्फ सी पिघलकर मुझमें समाये।

बारिश मेरा त्योहार समारोह ,
ज्वार-भाटा मेरा आरोह-अवरोह।

मैं शीतल नदी सर्व शक्तिमान हूँ,
बनकर नमक समुद्र में विद्यमान हूँ।

आक्सीजन का जड़ मजबूत बनाती,
चलते राही को हवा से सुकुन दिलाती।

मेरा काम क्रोध को शान्त कराना,
शिक्षा निरन्तर आगे गतिमान रहना।

अपनी शीतल जल से आग बुझाती,
कल कल बहती मैं सरिता अभिलाषी।

(स्वरचित,मौलिक)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 27 Views
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