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25 May 2020 · 1 min read

प्रणय की कल्पना

सोचा था कि
जीवन भर
साथ तुम्हारे हर्षाउंगा
सोचा था कि
मन मंदिर में
सपनो का इक
सुंदर बाग लगाऊंगा।

सोचा था कि संग तुम्हारे मन मयूर नाचेंगे
सोचा था कि नवीन रंग आंखों में राचेंगे।

मिलकर जीवन की
नौका में
सैर करेंगे अलबेली
तुमसे मुझमे मुझसे तुम में
प्रेम का अविरल संचय होगा
बालक पन की
यौवन में भी
रोज करेंगे अठखेली।
गोविन्द मोदी

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 460 Views
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