मेरी भैंस को डण्डा क्यों मारा
(शेर)- कितनी भोली , कितनी मासूम ,यह मेरी भैंस है।
नहीं करती कोई शरारत, इतनी सीधी मेरी भैंस है।।
मेरी भैंस मेरी शान, मेरी दौलत और मेरी पहचान है।
इस दुनिया में सबसे अनमोल,मेरी जान मेरी भैंस है।।
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मेरी भैंस तो, चारा खाती है।
चुपचाप, आती जाती है।।
तू पागल है या, आवारा।
मेरी भैंस को डण्डा,क्यों मारा।।——-(3)
मेरी भैंस तो———————–।।
कितनी सीधी है, और भोली।
नहीं कोई गुस्सा बम, गोली।।
क्या तुम्हें सिंग, उसने मारा।
मेरी भैंस को,डण्डा क्यों मारा।।——–(3)
मेरी भैंस तो————————।।
क्या उसने खाई,फसल तेरी।
क्या उसने तोड़ी, गाड़ी तेरी।।
वह तो खाती है, मेरा चारा।
मेरी भैंस को,डण्डा क्यों मारा।।——(3)
मेरी भैंस तो ————————।।
जो भी बोलोगे, सुन लेगी।
चुपचाप जुल्म, वह सह लेगी।।
तू पियक्कड़ है, या हत्यारा।
मेरी भैंस को, डण्डा क्यों मारा।।——(3)
मेरी भैंस तो———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)