माफ कर देना मुझको
समझना मेरी मजबूरियां,
और कर देना माफ मुझको,
मत सोचना फिर कभी ऐसा,
कि मुझको सीखा दिया है किसी ने,
और बना दिया है मुझको मतलबी।
मत देना दोष दूसरों को,
देखना अपने अतीत को,
अपने चश्मे से अपने भीतर,
मत करना यह फिक्र तुम,
कि बाकी है अभी मेरा साथी।
तुमको ही तलाशना है मेरे लिए,
शर्म करके मेरे लिए साथी,
तुम कहते हो कि मैं तो,
अब हो गया हूँ बेफिक्र और बेशर्म,
सोचता नहीं हूँ तुम्हारे बारे में,
तुम्हारे सुख और दुःखों के बारे में।
और मदद के लिए खरीद रहा हूँ,
बहुत सारी सुविधाएं आलीशान,
पानी की तरहां बहाकर पैसा,
तुम्हारी सोच है कि मैं,
नहीं मान रहा हूँ तुम्हारी बात,
जी रहा हूँ अब आजाद होकर,
लेकिन क्या यह मेरा हक नहीं है,
और तब क्यों नहीं की थी,
तुमने शर्म और मुझ पर दया,
कर देना माफ मुझको।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)