प्रकृति
दोष नही हमारा कुछ बातें हम भूल गये ।
खलिते खिलते मुरझा बचपन के फूल गये ।
प्रकृति में ही मिलता है जीवन का आनंद,
किन्तु सभी क्रतिम इन उपकरणों में झूल गये
प्रकृति में खिले फूल बहुत ही प्यारे हैं।
मिट्टी के घरौंदे अब इंसान के न्यारे हैं।
प्रकृति को बिना समझे दोहन हैं करते,
दिखावट के लिये बनाये बड़े ही नजारे हैं।
अभिषेक शर्मा