प्रकृति
जय माँ शारदे
ये स्नेहिल सी सीरत,ये मौसम मृदुल सा,
ये कैसा विहंगम, नजारा अतुल सा ।
हृदय जीत लेती ये, पर्वत शिखाएं,
प्रकृति का ये आंचल, अधिक मंजुल सा ।।
– नवीन जोशी ‘नवल’
जय माँ शारदे
ये स्नेहिल सी सीरत,ये मौसम मृदुल सा,
ये कैसा विहंगम, नजारा अतुल सा ।
हृदय जीत लेती ये, पर्वत शिखाएं,
प्रकृति का ये आंचल, अधिक मंजुल सा ।।
– नवीन जोशी ‘नवल’