प्रकृति की ओर
प्रकृति की ओर
लौटो,
बिल्कुल ठीक कहा था
रूसो ने।
करते हैं जो
अवहेलना प्रकृति की
भयावह होते हैं
उसके दुष्परिणाम।
प्रकृति के नियमों में
हस्तक्षेप
पहुँचाता है नुकसान
स्वास्थ्य को
सेहत को
और सम्पत्ति को भी।
आज से, अभी से
जितनी जल्दी हो
चेतो…चेतो…चेतो
ऐ मानव,
प्रकृति की ओर लौटो।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति