“पैसा”
“पैसा”
पैसा अपने आप में किसी को खुश नहीं कर सकता। पैसा उपयोग करने वाले का दास है। कोई पैसा पाकर खुद को सक्षम बनाकर मदद का हाथ बढ़ाता है तो कोई मद्यपान और जुआ में मस्त हो जाता है। इस अर्थ में पैसा एक दोधारी तलवार की तरह है। यह इंसान को बचाता भी है और नष्ट भी करता है।