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26 Feb 2024 · 1 min read

– गहरी खामोशी –

– गहरी खामोशी –
अब तक थे हम खामोश,
रहते थे हम चुपचाप,
किसी से कुछ भी नही करते थे बात,
खामोशी में रहना अब हमको है भा गया,
खामोशी में रहकर ही हम यह सोचते बन जाए कोई बात,
खामोश रहने से ही रिश्ते नाते कायम रह जाए,
बात बिगड़ने से अच्छा कुछ ना कहना ,
इसका रहा हमे सदा एहसास,
लंबी खामोशी अब तेरी भरत लोगो के मन को खल गई,
गहलोत अब रहना चाहता है गहरी खामोशी के साथ,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान

Language: Hindi
53 Views
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