पूरा कुनबा बैठता, खाते मिलकर धूप (कुंडलिया)
पूरा कुनबा बैठता, खाते मिलकर धूप (कुंडलिया)
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पूरा कुनबा बैठता, खाते मिलकर धूप
मूँगफली को टूँगते ,बढ़ता जिससे रूप
बढ़ता जिससे रूप, दाल के पापड़ बनते
किसके फंदे तेज, युद्ध स्वेटर पर ठनते
कहते रवि कविराय,बिना परिवार अधूरा
आती तो है धूप,लुत्फ कब मिलता पूरा
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99 97 61 5451