पूजन
भगवान को नहीं जरूरत
घी दूध मिष्ठान्न की।
कमी नहीं है प्रभु के पास
पत्र पुष्प अनाज की।
पूजा पाठ भक्ति भावना
श्रद्धा व विश्वास की।
निर्मल मन स्वीकार प्रभु को
देव कर्म विधान की ।
आज रास्ते सभी खोजते
राम भी गुमराह हो।
देख चढोत्री व सामग्री
देव स्वयं प्रसंन हो ।
कर्म धर्म पूछे न कोई
चाह में वरदान हो।
पूजन में आडम्बर छोड़
परमार्थ का ध्यान हो।
राजेश कौरव सुमित्र