*पुरानी पेंशन हक है मेरा(गीत)*
पुरानी पेंशन हक है मेरा, बुढ़ापे का सहारा है।
अपने भी जब साथ छोड़ दें, यही है एक सहारा है।
माननीय लेते कई-कई पेंशन। हमारे लिए क्यों नहीं है पेंशन।
भविष्य की रहती है टेंशन, ना दिखता कोई किनारा है।
पुरानी पेंशन हक है मेरा, बुढ़ापे का सहारा है।।१।।
देश की सेवा हम भी करते, यह मांग हमारी जायज है।
भविष्य हमारा सुरक्षित हो, हर कर्मचारी इस लायक है।
जो पेंशन की बातें करेगा, उससे यही इशारा है।
पुरानी पेंशन हक है मेरा, बुढ़ापे का सहारा है।।२।।
हमने दिन रात एक किया है, मेहनत करके आए हैं।
राजनीति एक सेवा है तो, क्यों कई कई पेंशन पाए हैं।
तुमको पेंशन हमको क्यों नहीं, क्यों दोगला सा व्यवहारा है।
पुरानी पेंशन हक है मेरा, बुढ़ापे का सहारा है।।३।।
शासन और प्रशासन सुन लो, आंदोलन अब जारी है।
बहाल होगी अब हमारी पेंशन, दिल्ली की तैयारी है।
मिले पेंशन सब खुश होंवे, कहता दुष्यन्त कुमार तरारा है।
पुरानी पेंशन हक है मेरा, बुढ़ापे का सहारा है।।४।।