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16 Aug 2023 · 1 min read

पुण्य भूमि…भारत वर्ष

जीवन प्रेम है क्यों आपस में लड़ते और झगड़ते हो,
इंद्रधनुषी जिंदगी है क्यों इसको बदरंग करते हो।

वो स्नेह वो प्रेम वो चैन ओ अमन कैसे भूल गए,
आपस के भाईचारे को क्यों बदनाम करते हो।

एकता अटूट शक्ति है अलख फिर से जगाओ तुम,
उलझ कर निजी स्वार्थों में क्यों इसे खंड खंड करते हो।

जहां विश्वास होता है वहीं तो सब कुछ खास होता है, वैमनस्यता के बीज बोकर क्यों इसे चकनाचूर करते हो।

थाम लो हाथ एक दूजे का वही संबल है हम सबका,
यही तो ताकत है तुम्हारी क्यों इसे कमजोर करते हो।

आक्रांता कई आए मिटाने सभ्यता संस्कृति अपनी,
जड़ें बड़ी गहरी थी क्यों नहीं इसे स्वीकार करते हो।

मानसिंह और जयचंदों से आज भी सियासत पटी सारी,
चिन्हित कर इन्हें क्यों नहीं दरकिनार करते हो।

खा रहे हैं घुन की मानिंद दशकों से जो देश को,
क्यों उनका साथ देते हो और क्यों समर्थन करते हो।

कई सदियों के बाद आज ये हसीन लम्हात आए हैं,
पालकर रंजिशें गहरी क्यों इन्हें बेनूर करते हो।

खुश किस्मत हो जो इस पुण्य भूमि पर तुमने जन्म लिया,
वसुधैव कुटुंबकम् की पावन धरा को क्यों कलंकित करते हो।

इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश
481001

Language: Hindi
159 Views
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