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7 May 2024 · 1 min read

फूल बेजुबान नहीं होते

फूल कभी भी सुनो बेजुबां नहीं होते
अरमां दिलों के इनके बयां नहीं होते

छुपा लेते हैं ये ओश के रूप में आँसू
सबको लगता है कि फूल नहीं रोते

मुस्कुराते हैं सदा ये दूसरों को खातिर
अपनी खातिर फूल परेशां नहीं होते

कहीं काँटो पे तो कहीं ये किचड़ में उगें
अपनी किस्मत पे ये खपा नहीं होते

इन्हे मालूम है कुचले जांएगे किसी दिन
इसलिए फूलों के आशियां नहीं होते

सुबह तो होते हैं फूल पूजा की थाली में
शाम तक इनके कहीं निशां नहीं होते

जिसे भी देखिए वहीं फूल का है कायल
फूल फिर भी किसी की जां नहीं होते

कोई रुठे तो मना लेते है फूल उसे देकर
जोड़ते दिलों को ये दरमियां नहीं होते

सीख ले अगर कोई जिंदगी जीना इनसे
बस जाते हैं दिलों में फ़नाह नहीं होते

है सुनो “V9द” की भी फूलों सी दास्तान
फूल महकते हैं बस महक नहीं खोते

स्वरचित
V9द चौहान

2 Likes · 29 Views
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