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21 Jun 2023 · 1 min read

खल साहित्यिकों का छलवृत्तांत / MUSAFIR BAITHA

अपने गिरोह के मुट्ठी भर खल साहित्यिकों के साथ
मिल बैठ कर खड़ा किया उन्होंने
किसी कद्दावर कवि के नाम पर एक ‘सम्मान’
और वे सम्मान-पुरस्कर्ता बन कर तन गए
इस तिकड़म में महज कुछ सौ रुपयों में
अपने लिए पूर्व में खरीदे गए
दिवंगत साहित्यकारों के नाम के
कुछ क्षुद्र सम्मानों का नजीर उनके काम आया
अपने नवसृजित सम्मान के कुछ शुरुआती अंकों को
उन्होंने उन पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों पर वारा
जो उनकी घासलेटी रचनाओं को
घास तक नहीं डालते थे
फिर तो उनकी और उनकी थैली के चट्टों-बट्टों की
कूड़ा-रचनाएं भी हाथों हाथ ली जाने लगीं यकायक
अपनी जुगाड़ी कल के बल सरकारी नौकरी हथियाए
इस गिरोह के सिरमौर कवि ने लगे हाथ एक सम्मान
अपने कार्यालय बॉंस पर भी चस्पां करवा डाला
ताकि फूल फूल कर बॉंस और अधिक फलदायी बन सके
अब यकीनन इस फिराक में था यह दूरंदेशी कवि
कि अपने कुल-खानदान के चंद और नक्कारों को भी
बरास्ते बॉंस-कृपा वहीं कहीं अटका-लटका सके वह
महज अपने कवि-कल व छल-बल के बलबूते ही
कविता के प्रदेश में गुंडई कर्म की
बखूबी शिनाख्त करने में लगा यह कवि
और उसके कुनबे के इतर जन भी
दरअसल स्वयं क्या साहित्य में
एक और गुंडा-प्रदेश नहीं रच रहे थे !

Language: Hindi
103 Views
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