पी रहा हूं मै नजरो से
पी रहा हूं मैं नजरो से,कही समा न बदल जाए।
झुकाओ न तुम नजरो को,कही रात न ढल जाय।।
लहराओ न दुपट्टा,कही हवा का रुख न बदल जाय।
ढक लो चेहरे को,तुम कही मेरी नियत न बदल जाय।।
फैलाओ न इन जुल्फों को,कही मौसम न बदल जाए।
बिन बदलो के आस्मां में,काली घटा में न बदल जाय।।
मत पिलाओ साकी मुझे कही जाम न टकरा जाए।
नशे में धुत होकर,कही मेरी साकी न घबरा जाए।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम