पिया मिलन की प्यास
तन मन की हुई तपन शांत, मेघा अमृत बरसाए
धरती ने ओढ़ी हरी चुनरिया, जन जन का मन हर्षाए
दादुर मोर पपीहा बोले, पीहू पीहू शब्द सुनाए
प्रेमामृत पिय का पीने, अंतर्मन भागा जाए
सांझ सुहानी भीगा मौसम, प्रेमाग्नि भड़काए
सप्त स्वरों में गीत प्रेम के, बादल राग सुनाए
अंधियारी नम रातों में , अखियां न लग पाए
बिजली कड़के बादल गरजे, जिया मेरा घबराए
पिया मिलन की प्यास सखी, तन मन और जलाए
गर्म तवे पर सखि जैंसे, ठंडी फुहार पड़ जाए
पिया मिलन की प्यास, बर्षाऋतु और जगाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी