16.5.24
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फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
22 22 22 22 22 22 22
जो बरगद –पीपल, बूढ़े पिता के बारे में सोचता है
वो यकीनन मजहब, इमान, खुदा के बारे में सोचता है
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डिगा कर ही बता दो , तनिक सियासी अंगद के पांव अब
ये मुल्क कब कमजोर , इन्सा के बारे में सोचता है
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कौन बहाना चाहता ,गंगा में अपनो की लाशें,
तंग हाल कब , कफन चिता के बारे में सोचता है
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मयकदे में जो , बेआबरू हो कर जीने का आदी
चीथड़ों में कौन, अस्मिता के बारे में सोचता है
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लोगो ने बना दिया, आफत को,अवसरों का बाजार
लूटने की नीयत कब सजा के बारे में सोचता है
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सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग