Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2022 · 1 min read

पिता

पिता नाम है
त्याग का
बलिदान का
ख़ाली पेट बैठे हुए
इक भोले इन्सान का ।

पिता नाम है
भविष्य का
ख्वाहिश का
बच्चों के सपने को पूरा
करने की चाहत का ।

पिता नाम है
रोटी – कपड़े का
मान मकान सम्मान का
बिखरे आपस में मिल जाएं,
जोड़कर रखे हुए परिवार का ।

पिता नाम है
मीठी मिठाई का
कड़वी सच्चाई का
सारे कष्टों को ख़ुद झेलकर
सहते हुए हंसने – हंसाने का ।

3 Likes · 4 Comments · 199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*अजब है उसकी माया*
*अजब है उसकी माया*
Poonam Matia
*करता है मस्तिष्क ही, जग में सारे काम (कुंडलिया)*
*करता है मस्तिष्क ही, जग में सारे काम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
#देसी_ग़ज़ल-
#देसी_ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
तुम कब आवोगे
तुम कब आवोगे
gurudeenverma198
दुख निवारण ब्रह्म सरोवर और हम
दुख निवारण ब्रह्म सरोवर और हम
SATPAL CHAUHAN
मुझे धरा पर न आने देना
मुझे धरा पर न आने देना
Gouri tiwari
भ्रांति पथ
भ्रांति पथ
नवीन जोशी 'नवल'
अनजान लड़का
अनजान लड़का
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
**आजकल के रिश्ते*
**आजकल के रिश्ते*
Harminder Kaur
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
मिट न सके, अल्फ़ाज़,
Mahender Singh
*अहंकार *
*अहंकार *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
माँ मेरी जादूगर थी,
माँ मेरी जादूगर थी,
Shweta Soni
रंग भेद ना चाहिए विश्व शांति लाइए सम्मान सबका कीजिए
रंग भेद ना चाहिए विश्व शांति लाइए सम्मान सबका कीजिए
DrLakshman Jha Parimal
मन काशी मन द्वारिका,मन मथुरा मन कुंभ।
मन काशी मन द्वारिका,मन मथुरा मन कुंभ।
विमला महरिया मौज
The unknown road.
The unknown road.
Manisha Manjari
एक सरकारी सेवक की बेमिसाल कर्मठता / MUSAFIR BAITHA
एक सरकारी सेवक की बेमिसाल कर्मठता / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
काग़ज़ पर उतार दो
काग़ज़ पर उतार दो
Surinder blackpen
"आँखें तो"
Dr. Kishan tandon kranti
तीजनबाई
तीजनबाई
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
3220.*पूर्णिका*
3220.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सांत्वना
सांत्वना
भरत कुमार सोलंकी
इंसान की सूरत में
इंसान की सूरत में
Dr fauzia Naseem shad
सर्दी में जलती हुई आग लगती हो
सर्दी में जलती हुई आग लगती हो
Jitendra Chhonkar
अबके तीजा पोरा
अबके तीजा पोरा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
।। लक्ष्य ।।
।। लक्ष्य ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
एक समय बेकार पड़ा था
एक समय बेकार पड़ा था
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जय जगदम्बे जय माँ काली
जय जगदम्बे जय माँ काली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
Neelam Sharma
कुछ तो अच्छा छोड़ कर जाओ आप
कुछ तो अच्छा छोड़ कर जाओ आप
Shyam Pandey
मन अपने बसाओ तो
मन अपने बसाओ तो
surenderpal vaidya
Loading...