पिता
अम्बर सा विस्तृत रूप सिन्धु सम ह्रदय गहरा
जीवन पथ प्रदर्शक पिता जब छाया कोहरा
श्रम की अग्नि में तपकर देते शीतल छाया
संघर्षों में न डगमगाया रहा पिता का साया
आदर्शों का महत्व जीवन उद्देश्य समझाया
सही ग़लत का भेद बता आगे बढ़ना सिखाया
निज इच्छा परे सन्तान सुख दायित्व निभाया
सुन्दर सपने सजाकर उज्जवल भविष्य बनाया
जीवन के सम्बल औरआधार पिता
परिवार में अनुशासन और अप्रदर्शित प्यार
घर में रहता जिनसे प्रतिपल राग उल्लास
कभी सख्त कभी मोम से रहते नर्म
छत्र छाया में सुख आंगन का विशाल वृक्ष
दुःख दर्द अपना कभी न कहते पिता
जीवन में रक्षा कवच की भांति पिता
जीवन का अभिमान कभी स्वाभिमान पिता
नेहा
खैरथल (अलवर) राजस्थान