पिता का प्यार
नहीं लगता मेरा डांटना तुझे अच्छा अब
नहीं भाता मेरा फिक्र करना तुझे
नही चाहिये तुझे अब रोका टोकी मेरी
कर नहीं सकता तेरे ज़माने जैसी बातें
नही आता मुझे परदेसी कपड़े पहनना
कर नहीं पाता हर इच्छा तेरी पूरी
नहीं दे सकता तेरे सुख की हर चीज
उम्मीद अब तुझे मुझसे कुछ नहीं है
मैं कौन हूँ यह बताने में शर्म तुझे थोड़ी आती है
मैं नहीं कहूंगा किसी से अपना सर्वस्य तुझे दिया है
तुझे देख देखकर जीता हूँ मेरे लाल
यह कहने में मुझे शरम नहीं है मेरे लाल
संसार में सबसे ज़्यादा प्यार करता हूँ तुझे
लेखक
प्रदीप कुमार नागरवाल
ग्राम पोस्ट बास्को है तहसील बस्सी जिला जयपुर