Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jun 2024 · 1 min read

“पिता का घर”

“पिता का घर”
मेरे पिता का घर
कभी दादा का घर था,
उसमें चूहे-छछून्दर ही नहीं
गौरैयों का भी हो जाता बसर था।
आज मेरे घर की पक्की दीवारों
फर्श और छत में भी
लगती नहीं कोई कील,
ऐसे में चूहों की औकात क्या
गौरैयों का भी होता गुजारा मुश्किल।

2 Likes · 3 Comments · 113 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

सुबह सुबह की चाय
सुबह सुबह की चाय
Neeraj Agarwal
कविता
कविता
Rambali Mishra
गुज़िश्ता साल -नज़्म
गुज़िश्ता साल -नज़्म
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
मुक्तक
मुक्तक
नूरफातिमा खातून नूरी
माँ की ममता के तले, खुशियों का संसार |
माँ की ममता के तले, खुशियों का संसार |
जगदीश शर्मा सहज
मेरी कलम कविता
मेरी कलम कविता
OM PRAKASH MEENA
दाम रिश्तों के
दाम रिश्तों के
Dr fauzia Naseem shad
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
PRADYUMNA AROTHIYA
राम नाम की गूंज से
राम नाम की गूंज से
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
तेवरीः एक संकल्प-चेतना की अभिव्यक्ति + शिवकुमार थदानी
तेवरीः एक संकल्प-चेतना की अभिव्यक्ति + शिवकुमार थदानी
कवि रमेशराज
क्योंकि वह एक सिर्फ सपना था
क्योंकि वह एक सिर्फ सपना था
gurudeenverma198
दोहे रमेश शर्मा के
दोहे रमेश शर्मा के
RAMESH SHARMA
*चिंता चिता समान है*
*चिंता चिता समान है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तुम कहो या न कहो
तुम कहो या न कहो
दीपक झा रुद्रा
दिल टूटा है।
दिल टूटा है।
Dr.sima
विश्व जल दिवस
विश्व जल दिवस
Dr. Kishan tandon kranti
तुमने तोड़ा मौन, बातचीत तुम ही करो।
तुमने तोड़ा मौन, बातचीत तुम ही करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
क्या किसी जात का आदमी
क्या किसी जात का आदमी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पैसा आपकी हैसियत बदल सकता है
पैसा आपकी हैसियत बदल सकता है
शेखर सिंह
ये मतलबी दुनिया है साहब,
ये मतलबी दुनिया है साहब,
Umender kumar
अकेले तय होंगी मंजिले, मुसीबत में सब साथ छोड़ जाते हैं।
अकेले तय होंगी मंजिले, मुसीबत में सब साथ छोड़ जाते हैं।
पूर्वार्थ
*सुबह टहलना (बाल कविता)*
*सुबह टहलना (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जिंदगी का पहिया बिल्कुल सही घूमता है
जिंदगी का पहिया बिल्कुल सही घूमता है
shabina. Naaz
अधूरी प्रीत से....
अधूरी प्रीत से....
sushil sarna
2754. *पूर्णिका*
2754. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
◆ आज का दोहा।
◆ आज का दोहा।
*प्रणय*
हिंदी दिवस - 14 सितंबर
हिंदी दिवस - 14 सितंबर
Raju Gajbhiye
इसी कारण मुझे लंबा
इसी कारण मुझे लंबा
Shivkumar Bilagrami
" महक संदली "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
इन नजरों में तेरी सूरत केवल नजर आती है।
इन नजरों में तेरी सूरत केवल नजर आती है।
Rj Anand Prajapati
Loading...