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2 Apr 2024 · 1 min read

तुम कहो या न कहो

तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा
और तुमसे जो मिली है ,वो व्यथा सहता रहूंगा।

इंद्रधनुषी रंग के, तुम तो हो अवयव कदाचित….
व्योम के मस्तक की शोभा तुम बढ़ाती ही रहोगी…
और मैं तारा हूं टूटा कल्पनाओं के गगन का
गर कभी मैं टूट जाऊं अनवरत गिरता रहूंगा।
तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा
और तुमसे जो मिली है ,वो व्यथा सहता रहूंगा।

हों हजारों ही खुशी कायल तुम्हारे उस छुवन को
जिसको मैंने सोच कर ही कर दिया खुद को समर्पित
जानता हूं तुम हंसोगी मेरे निरर्थक कोशिशों पर
जिसको मैं अवधार कर नव गीत यूं गढ़ता रहूंगा।
तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा
और तुमसे जो मिली है ,वो व्यथा सहता रहूंगा।

चाहता हूं कि कोई छाया भी न छू पाए तुमको
और अवसर ही नहीं हो वेदना को या तपन को
तुझ पे गम आए अगर तो मैं सकल विध्वंस कर दूं
इन विवादित से विचारों में सदा ढलता रहूंगा।
तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा
और तुमसे जो मिली है ,वो व्यथा सहता रहूंगा।

दीपक झा रुद्रा

Language: Hindi
29 Views
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