पिघलता चाँद ( 8 of 25 )
पिघलता चाँद
अंधियारे से ,कभी ना ड़रता
बढ़ती रात , निखरता चांद….
धूप के दिए ,जख्म देख
कारुणा से ,पिघलता चांद….
सुकून भरी है , असीमित ठंडक
रोशनी के ,दरिया सा चाँद …
बादल – शिखर ,- सोच में टहले
हारे मन में , उतरता चाँद …
स्नेह में डूबा ,सा लगता है
मम्मी का ,नया घर चाँद …
– क्षमा ऊर्मिला