पापा का संदेश
पापा का संदेश
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सुनो लाडले….
पापा तुमको……
आज बताने आए हैं ….!
खुशियों की इस महफिल में….
तुमसे बतियाने आए हैं….!
मेरी आँखों के तारे.
दिल के दुलारे….
अपने पापा के लाड़ले….
मेरे नन्हें नन्हें फूल….
पापा आपके पास नहीं…
तो क्या हुआ..?
माँ तो है ना…
आपके पास, आपके साथ…..!
पापा भी आपके दूर नहीं….
छुपे रहते हैं बस….
हिम्मत और ताकत बन….!
आपकी माँ के अस्तित्व में,
विचारों में…!
मेरे लाल…
अब तुम बड़े हो गए हो…
माँ की सेवा में खड़े हो गए हो….!
माँ की मेहनत रंग लाई है…
आज खुशियों ने महफ़िल सजाई है…!
जानता हूँ मैं…
तेरे ह्रदय का हाल…
बस तू ही तो है अपनी…
मैया का लाल…!
ईश रब कौन है तू नहीं जानता….
तू तो मैया को अपना ख़ुदा मानता…!
मैं क्या हूँ तेरी माँ का..
बताता हूँ तुझे….
राज अपने दिल का सुनाता हूँ तुझे..!
आपका ये प्यारा पापा….
माँ की कलम है…!
गीत- ग़ज़ल , कविता- रुबाई है….!
मरहम है हर ज़ख़्म की…
हर मर्ज़ की दवाई है….!
तभी तो इस कलम के सहारे…
तेरी ये माँ जी पाई है…!
वो मेरी है..
मैं उसका हूँ…
रग रग में उसकी बसता हूँ…
उसकी सुनता अपनी कहता…
हाथ सदा थामे रहता….
कंटक पथ पर चलते चलते….
अब तो हार गई है माँ..
जीवन की सारी खुशियां…
तुझ पर वार रही है माँ….
तन्हाई का आलम उसको…
हर पल बेटा खलता है…
बस तेरी खुशियों का सपना….
उसके दिल मे पलता है…
ध्यान सदा तू रखना माँ का…
कदमों में फूल बिछा देना…
हर पीड़ा मिट जाएगी …
तू माँ को कण्ठ लगा लेना…
मेरे लाल….
तू ही तो उसकी जान है…
उसके आँचल का वरदान है..!
मान है सम्मान है….!
माँ से तेरी पहचान है…!
थाम के उँगली माँ ने लालन …
चलना तुझे सिखाया है…
जीने का हर हुनर बताकर…
मंज़िल पर पहुँचाया है….!
बस इतना ही कहने आया…
खुशियों का खजाना लाया हूँ….
ऐश्वर्य की वर्षा करता हूँ
हर सुख से दानम भरता हूँ
चलता हूँ फिर लाल मेरे अब…
लौट के वापस आने को…
आकर फिर से तेरे अँगना …
अपना फ़र्ज़ निभाने को…
© Dr. Pratibha ‘Mahi’
26/8/2020