पानी न बरसने की पीड़ा
वर्षा की राह जोहते लोग
बेमन से तीज त्योहार मना रहे हैं
पिछली अवर्षा से प्रभावित गाँव-शहर
आज अभी तक
पानी नहीं, पसीने से नहा रहे है ।
कलमुँहे बादल आते हैं
बतीसी दिखाते हैं
घोड़े जैसे हिनहिनाकर
इस बार भी
निकल जाते हैं ।
गिनती के बचे युवा वृक्ष
दुखी मन से खड़े हैं
अषाढ़ आने को है
ज्येष्ठ जाने को है
अब तक झूले नहीं पड़े हैं ।
गृहणियां परदेस रहते
पतियों को लिखा रही हैं
सावन की वर्षा हमारे लिए
लाखों की बात छोड़ो
कौड़ियों का भी नहीं रही है ।
और हाँ यह भी लिखा है
यदि सावन हो वहाँ सलौना
जादूगर बाहुल्य क्षेत्र है
अपने घर जाना
किसी जादू-टोने के वश न हो जाना ।