पाती कर दे
अश्कों को मेरे उसको एक पाती कर दे
ख़ुदाया लौट आने को राजी कर दे
हर दौड़ में मेरी हार क्योंकर
इस बार जीतने की बाज़ी कर दे
खार ऐसे कि आसेब भी बेअसर
ज़मींदोज़ होने को कोई काज़ी कर दे
उसकी रुख़सती न चरागों में रोशनी होगी
हमराह न सही मुझको मगर बाती कर दे
न तेरा आज, न कल होने को हूँ
लौटा दे लम्हे, मुझको तेरा माज़ी कर दे
मैं काबा न गया, न मदीना में रहा
जहाँ तेरे कदम थे, मेरा काशी कर दे