पाक के नापाक इरादे
पाक के न पाक इरादे
है ओछी हरकत तेरी,जो तू हमको हड़काता है।
तेरी हर हरकत का, मूंह तोड़ जबाव हमें आता है।।
डाल कर चंद दाने धोखे के, जो तू हमें फं साता है।
घुस जाते तेरे खेमे में जाल में तू फंस जाता है।।
है बहुत गरम ये लावा रगों में बहा जो जाता है।
एक इशारा मिलते ही उबल कर बाहर आता है।।
घटता-मिटता पल भर में खाक तुझे कर जाता है।
जब वीर सिपाही भारत का नैनो की अग्नि दिखाता है।।
न पाक इरादे तेरे जो सत्रह जाने खाता है।
खो कर अपने दुगने फिर मुंह के बल गिर जाता है।।
ओढ़ कर खाल शेर की गीदड़ सा तू चिल्लाता है।
क्यूं फिक्र नहीं तुझे अपनी जो सोता शेर जागाता है।।
है भारत का लाल अनोखा जो माटी पे जान गवाता है।
आंख निकाल बाहर कर दें जो मां पे आंख उठाता है।
सुन ले समझ ले न पाक तू भारत ये समझाता है।।
क्यूं देकर दर्द हमें तू दुगना दर्द उठाता है।
तेरे मेरा कर-कर के रंजिश और बढ़ाता है।।
खाली-पीली निर्दोषों की क्यूं तू भेंट चढ़ाता है।
-नूतन ‘ज्योति’ अग्रवाल