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13 Sep 2023 · 1 min read

आओ प्रीतम

मन के इस मयूरा पर प्रियतम प्रेम की धुन जगाये हम
आओ फिर कुछ गाये, इस धरा को फिर से सजाये हम

मन में आज तरंग नई , जैसे फिर कोई गीत बना है
बनकर वो गीत हृदय में ,आज अधरों पर फिर सजा है

तुम छेड़ो वीणा की तान , मै झूम झूम कर नृत्य करू
जब जब राग बनाओ कोई , मै सहज भाव से पग धरु

मन को हर्षित करने लगे जब प्रीतम विणा के राग
महक उठेगी ये धरा , पहनेगी फिर पुष्पो का हार

पुष्पो का ओढ़ेगी आँचल महक उठेगा सारा जहाँ
प्रेम राग फिर बजने लगेगा, तब तुम देना मेरा साथ

दोनों मिलकर प्रियतम हम बनायेगे एक मधुर राग
होले होले पग को धरते , नृत्य में हम होंगे मगन

झूम उठेगी सारी धरा , नाच उठेगा सारा चमन
एक एक कला हमारे नृत्य की, करेगी कोई सृजन नया

प्रेम और करुणा हो जहाँ पर , मिलकर बनाएंगे वो जहाँ
बसंत बहार से महकती धरती ,प्रेम भक्ति सदा हो वहाँ

हो भक्त और भगवान् की सत्ता , कोई न हो दुष्ट जहाँ
हो प्रेम और करुणा हृदय में , राग द्वेष का न हो स्थान

ममता के आंचल में पले , हर नन्ही कली फूल बने
जहा मिले हर नारी को पूर्ण प्रेम और रक्षा सम्मान

आओ प्रियतम करे हम रचना ,ये है सपनो का जहाँ
आओ छेडे गीत कोई और संग मे कोई राग नया

मन आज फिर तरंग उठी , बनाये अपने सपनो का जहाँ
तुम होले होले राग बनाओ मै सहज भाव से पग धरु

आओ प्रियतम …………………

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