पाकिस्तान नहीं नापाकिस्तान
विभाजन की विभीषिका का दर्द ,
तुमने भी सहा और हमने भी ।
या अपनी स्वेच्छा से दो टुकड़ों में बंटवाया,
होकर एक मां के लाल भी ।
फिर भी दिल में यह कैसी रंजिश है तुम्हारे ,
भूलते नहीं तुम जख्म देना कभी भी ।
गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस,
हर बार नई साजिशें रचते हो ,जब कभी भी ,
आतंकवादी भेजते हो और हथियार कभी ।
ना जाने तुम कब बाज आओगे ऐसी ओछी हरकतों से,
ना खुद जीते हो सुकून से ,ना जीने देते हो हमें भी ।
१०० साल राज करके एक जख्म दे गए गोरे भी,
उस पर सितम यह है की तुम नासूर बन गए हो,
मिटती नहीं तुम्हारी हस्ती लाख मिटाने पर भी ।
नाम रखा पाकिस्तान ,और करते हो नापाक हरकतें,
तुम्हें शोभा देता है नाम नापाकिस्तान ही ।