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6 May 2024 · 1 min read

मै थक गया

” मैं थक गया

खामोश मैं अपने पर आकर
अपने पन से थक गया
खोखला पन मैं खुद पर रखकर
अपने हुनर से थक गया ॥

हाळात पर मेरा वश
चाहकर भी नही चलता है
मायूष में आज यू होकर
अपनी नाकारी से थक गया ॥

रख में हिम्मत अपने मन में
कुछ पाने की सोच रहा हूँ,
तन्हाई की तलाई मे डूब अपने मन से कह
रहा हु मै थक गया हूं ।।

औरो की चौखट पर बन भिखारी
चालाकी से घूम रहा
चालाकी की सौबत पर
रख उधारी जुम रहा
कपट भाव निकला मुंह से अब तो मैं थक गया हूँ ।।

राहो पर बिन, चालाकी, पांव धरू मैं अपने कैसे ।
आहिस्ता आहिस्ता चल: मैं लम्बी सड़क पर थक गया हूँ

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