” पहला खत “
सितमगर मौहब्बत में तेरी,
मिले है जो अनमोल तोहफे…!
दर्द हजार या झूठी मुस्कान,
तूँ ही बता खत में क्या क्या लिखूं…!!
अल्फाजों में सजाकर,
जज्बातों में समाकर…!
तूँ ही बता तुझे सुबह की शायरी
या शाम की गज़ल लिखूं…!!
आँखों में आँसू की वजह और,
लबों पर हँसी की वजह भी तुम ही हो…!
कहों तुम्हें किन- किन नाम से पुकारूं,
हरजाई या हमदर्द लिखूं…!!
जागती आँखों में हो तुम,
सोई आँखों में भी तुम…!
अब तुम ही कहों तुम्हें उगता सुरज
या ढलता आफ़ताब लिखूं…!!
अभी- अभी तो चाहत का
सफल शुरू ही हुआ है…!
तूँ ही बता कैसे मैं पहले खत
को आखरी खत लिखूं…!!
लेखिका- आरती सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश
मौलिक एवं स्वरचित रचना