परोपकार
परोपकार
तू अकेला चल कहाँ तक जाएगा
अकेला था अकेला ही रह जाएगा
सहारा बन मनोबल बन सबका
तू उत्थान खुद का भी कर जाएगा ।
तू अकेला चल कहाँ तक जाएगा
अकेला था अकेला ही रह जाएगा
राह बन राहगीर बन सबका
तू मंज़िल खुद की भी पा जाएगा ।
तू अकेला चल कहाँ तक जाएगा
अकेला था अकेला ही रह जाएगा
आशा बन रौशनी बन सबकी
तू खुद का जहाँ भी रौशन कर जाएगा ।
तू अकेला चल कहाँ तक जाएगा
अकेला था अकेला ही रह जाएगा
छत बन आसरा बन सबका
तू खुद का आशियान बसा पाएगा ।
तू अकेला चल कहाँ तक जाएगा
अकेला था अकेला ही रह जाएगा
दुआ बन दवा बन सबकी
तू परोपकार का अमृत्व पा जाएगा ।
रुपाली भारद्वाज