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22 Feb 2024 · 1 min read

परोपकार

परोपकार

तू अकेला चल कहाँ तक जाएगा
अकेला था अकेला ही रह जाएगा
सहारा बन मनोबल बन सबका
तू उत्थान खुद का भी कर जाएगा ।

तू अकेला चल कहाँ तक जाएगा
अकेला था अकेला ही रह जाएगा
राह बन राहगीर बन सबका
तू मंज़िल खुद की भी पा जाएगा ।

तू अकेला चल कहाँ तक जाएगा
अकेला था अकेला ही रह जाएगा
आशा बन रौशनी बन सबकी
तू खुद का जहाँ भी रौशन कर जाएगा ।

तू अकेला चल कहाँ तक जाएगा
अकेला था अकेला ही रह जाएगा
छत बन आसरा बन सबका
तू खुद का आशियान बसा पाएगा ।

तू अकेला चल कहाँ तक जाएगा
अकेला था अकेला ही रह जाएगा
दुआ बन दवा बन सबकी
तू परोपकार का अमृत्व पा जाएगा ।

रुपाली भारद्वाज

Language: Hindi
64 Views
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