परछाई
परछाई और इन्सानियत का गहरा ताल्लुक है,
परछाई और जिंदगी का ताउम्र का साथ है,
परछाई अकेले में भी साथी का अनुभव है,
परछाई है तो अस्तित्वबोध है।
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अच्छी परछाई अच्छे कर्मों का प्रतीक है,
सत्कर्मों में रूहानियत का साथ है परछाई,
सत्यता, कर्मठता की पहचान है परछाई,
अच्छे कर्मों की अच्छी और बुरे कर्मों की,
कड़वी और कसैली पहचान है परछाई।
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कहते हैं बुरे वक्त में परछाई भी काम नहीं आती,
परछाई का खत्म होना इन्सानियत का खत्म होना है,
आत्मा और स्थूल शरीर की सूक्ष्म पहचान है परछाई।
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आत्मा – परमात्मा के मिलन में बाधक है परछाई,
इंसान को उसका आईना दिखाती है परछाई,
सुख – दुःख का अहसास है परछाई,
अकेलेपन में साथी का प्रतीक है परछाई।
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डॉ प्रवीण ठाकुर
भाषा अधिकारी
निगमित निकाय भारत सरकार
शिमला हिमाचल प्रदेश।