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3 May 2024 · 1 min read

नादान परिंदा

नादान परिंदा
बेचारा
फंस गया देख
मुलायम चारा।

मना किया था
माता ने
विश्वास न करना
मानव पे।

चिकनी चुपड़ी
बात ये करते
मन मे बहुत पाप
है धरते।

बिन मतलब के
प्यार न करते
वक़्त पड़े
अपने को हतते।

हृदय हीन हो रहे
है ये सब
इनमें संवेदना
शेष नही अब।

नानवेज
तेजी से खाते
ध्वजा अहिंसा
का है ढोते।

निर्मेष
दूर अब इनसे
रहना
सुनो परिंदे मानो
कहना।

निर्मेष

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